तो दोस्तों आप सभी का फिर से स्वागत है पर। आज हम आप लोगों को हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) के बारे में बताने वाले हैं। इस आर्टिकल में आप जाने वाले हैं कि आखिर यह हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्या है? यह कैसे काम करता है और इसका फायदा क्या है? (What is Hyperspectral Imaging? How its Work? in Hindi)
आप लोगों में से बहुत सारे लोग पहली बार यह नाम सुना होगा, और यह सोच रहे होंगे कि आखिर यह हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्या है? और इससे हमें क्या लेना देना? तो आज आप लोग इस नई चीज के बारे में सब कुछ जान जाएंगे और आसानी से समझ भी जाएंगे कि आखिर यह क्या है और इसका हमारे जीवन में महत्व क्यों है।
वर्तमान समय में इस इमेजिंग सिस्टम (Imaging System) पर दुनिया भर में काम चल रहा है और इसमें भारत भी पीछे नहीं है भारत भी लगातार हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) पर काम कर रहे हैं और ना सिर्फ भारत का बल्कि पूरे विश्व का हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग लेने के लिए काम कर रहे हैं।
इसका मार्केट इतना बड़ा होने जा रहा है कि अगले 1 से 2 सालों के अंदर इस पर जबरदस्त मुकाबला आने वाला है और नई नई कंपनियों व के आने वाली है जो कि सिर्फ और सिर्फ हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग पर काम करें और उसे किस तरीके से बेहतर बनाएं और आसान बनाएं इस प्रतियोगिता होने वाली है।
हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग मुख्य रूप से स्पेक्ट्रल इमेजिंग का एक भाग है, पहले स्पेक्ट्रल इमेजिंग के बारे में जानते हैं
Spectral Imaging (स्पेक्ट्रल इमेजिंग)
स्पेक्ट्रेल इमेजिंग वर्तमान तकनीकी युग का एक बहुत ही एडवांस इमेजिंग सिस्टम है जिसके जरिए किसी भी वस्तु का या किसी भी जगह का गहरी जानकारी युक्त इमेज प्राप्त करना।
इस तरीके की इमेजिंग में बहुत सारे लेयर्स काम करते हैं जिस पर अलग-अलग जानकारियां होती हैं। किसी भी सतह पर लिए हुए इमेजिंग पर कई लेयर बनते हैं जो कि एक के ऊपर एक जोड़कर फाइनल इमेज प्रदान करता है।
स्पेक्ट्रेल इमेजिंग दो तरह के होते हैं..
1. मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Multispectral Imaging)
2. हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging)
मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्या है? (Multispectral Imaging)
मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Multispectral Imaging) किसी भी जगह या वस्तु का गहरी जानकारी युक्त इमेजिंग करता है जोकि किसी भी जगाया वस्तु का सामान्य जानकारी प्रदान करता है।
असल में मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग किसी भी जगह या वस्तु का सिर्फ ऊपर ऊपर से जानकारियां इकट्ठा करता है और उसको इमेजिंग के रूप में बदलता है। इस मेथड में बहुत ज्यादा जानकारी का होना मुमकिन नहीं होता है।
मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग में भी कई लेयर बनते हैं जिससे कुछ गहरी जानकारी प्राप्त होती है पर इसके लेयर्स की संख्या कम होती है जिसके कारण जानकारियां भी कम पाई जाती है।
हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्या है? (What is Hyperspectral Imaging?)
यह अत्याधुनिक इमेजिंग सिस्टम (Advanced Imagining System) है जो कि किसी भी सतह के ऊपर से लिए हुए इमेज को कई लेयर के रूप में बांटता है जिससे उस सतह में मौजूद हर चीजों की जानकारी उस इमेज पर आ जाए।
इसे अगर और आसान तरीके से समझ ना हो तो कुछ इस तरीके से समझते हैं…
हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) के जरिए अगर किसी जंगल के ऊपर से इमेजिंग किया गया हो तो उस जंगल में मौजूद पेड़ों की जानकारी, पेड़ों के पत्ते, डंठल यहां तक कि फल और फूल की जानकारी भी उस लिए हुए इमेज में उपलब्ध हो जाती है। हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग बहुत ही गहराई से जानकारियां प्राप्त करती है जिससे इमेज में कई सारे बारिक जानकारियां उपलब्ध हो जाती है।
इसके साथ उस जंगल के अंदर क्या है मिट्टी, खनिज, पानी यह सब भी उस इमेज के अंदर आ जाता है। और अगर जंगल के अंदर नदी या तालाब हो तो उस तालाब या नदी की गहराई, उस पर कौन-कौन से जीव है, उस पानी की जानकारी और भी कई छोटी-छोटी चीजें जो इस इमेज पर आ जाती है।
जब यह इमेज 3D के रूप में देखा जाता है तो हमें ऐसा एहसास होता है जैसे वह जंगल सामने हैं और उसकी सारी डिटेल स्क्रीन पर मौजूद हो जाती है। यह कुछ इस तरीके से होता है जैसे गूगल मैप को आप सिर्फ ऊपर से देखते हैं पर अगर हाइपर स्पेक्टल इमेजिंग का उपयोग किया जाए तो यही मैप 3D में बनकर हर एक जानकारी आपको प्रदान करती है।
जैसे जिस रोड पर अब चल रहे हैं उसके राइट हैंड साइड में क्या है उसके लेफ्ट साइड में क्या है सामने क्या है पीछे क्या है जमीन कैसी है आगे की गाड़ियां यह रोड कैसी है, आजू बाजू पेड़ पौधे कैसे हैं यह सब कुछ ऐसा लगता है जैसा कि आप उसी जगह पर मौजूद है।
मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Multispectral Imaging) की तुलना में हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग में काफी ज्यादा लेयर्स बनते हैं और इसी के कारण इस में मिलने वाली जानकारियां काफी गहरी होती है। यह तकनीक सही मायने में काफी ज्यादा पावरफुल है जो कि अब हर किसी चीज को देखने का नजरिया ही बदल देगा।
अभी के समय में हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग की काफी डिमांड है चाहे वह सेटेलाइट में हो, प्लेन या एयरक्राफ्ट में हो, ड्रोन में हो और भी कई जगह जहां पर इसका उपयोग होने लगा है और निरंतर सुधार किए जा रहे हैं।
हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) जोकि Spectral Imaging का एडवांस भाग है यह वर्तमान समय में बहुत ज्यादा लोकप्रिय होने वाले हैं और इस पर निरंतर और बड़ी मात्रा में काम किए जा रहे हैं।
नए-नए तकनीकों का विकास हो रहा है कि, किस तरीके से हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग का उपयोग किया जाए उन्हीं में से एक है एयरबॉर्न हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सिस्टम (Airborn Hyperspectral Imaging System) इसके बारे में हम आपको बताने वाले हैं।
हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग का फायदा क्या है?
इतना तो आप लोग समझ गए हैं कि यह हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग क्या है और यह किस प्रकार काम करता है। वैसे इसको देखने का तरीका वैसा ही है जैसे कि कोई मोबाइल या कैमरे के जरिए फोटो खींचा जाता है वह यह भी कुछ ऐसे ही काम करता है पर इससे काफी सारी चीजें बदलने वाली है। जैसे कि
1. वैज्ञानिक शोध में परिवर्तन:
वैज्ञानिक काफी समय से ही इसका उपयोग कर रहे हैं और निरंतर करते जा रहे हैं क्योंकि यह ऐसी तकनीक है जिसके जरिए आसानी से किसी जगह के बारे में जानकारियां प्राप्त की जा सकती है। ऐसे में वैज्ञानिक उन जगहों का भी शोध कर सकते हैं जिन पर अभी तक शोध नहीं कर पाया गया है।
ऐसे दुर्गम स्थिति और दुर्गम जगह पर जाना मुश्किल होता है और वहां की जानकारी प्राप्त करना भी मुश्किल होता है। वैज्ञानिक आसानी से सेटेलाइट के जरिए यह काम कर सकते हैं और हर जगह का बारीक से बारीक तथ्य भी निकाल सकते हैं।
2. कृषि कार्य में उपयोग:
इस तकनीकी का उपयोग कृषि कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और दे भी रहा है। कई सारे देश इस तकनीकी का उपयोग करने लगे हैं और किसी कार्य को और भी मजबूत बना रहे हैं। इस तकनीकी के उपयोग से कृषि क्षेत्र की आंतरिक जानकारियां प्राप्त किया जा सकता है।
मिट्टी से लेकर पानी तक के जानकारियां और उस पर उपलब्ध सभी तत्वों का पता लगाया जा सकता है। फसलों पर इस तकनीकी का उपयोग करके जानकारियां इकट्ठा किया जा सकता है और पता लगाया जा सकता है कि फसलों की वर्तमान स्थिति क्या है।
फसलों पर किसी तरीके की नुकसान की जानकारी पहले से ही मिल जाती है जिससे समय रहते हुए फसलों को बचाया जा सकता है।
3. खनिज उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए:
विश्व में ऐसी ऐसी जगह है जहां पर बहुत सारे खनिजों का भंडार लगा हुआ है पर उसके लिए हमें उस जगह का अच्छे से शोध करना पड़ता है और यह काफी मुश्किल काम है कुछ जगह तो ऐसे हैं जहां पर जानकारियां प्राप्त करना नामुमकिन जैसा है।
पर अब ऐसा नहीं है इस तकनीक का उपयोग करके जियोलॉजी सेक्टर पर आसानी से जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं और छुपे हुए खनिजों और संसाधनों का पता लगा सकते हैं।
4. पब्लिक सर्विस बेहतर बनेगा:
आम जनता के लिए भी यह काफी मददगार साबित होने वाला है क्योंकि इसका उपयोग करके पब्लिक सेक्टर के बहुत सारे काम किए जा सकते हैं और उन्हें और बेहतर बनाया जा सकता है।
मैप, ट्रांसपोर्ट सर्विस इत्यादि में इसकी संभावनाएं बहुत है। क्योंकि अधिक जानकारी वाले मैप में लोगों के लिए आसानी होगी ट्रांसपोर्टिंग अच्छी होगी नए-नए रास्ते में मिलेंगे और हर जगह की जानकारियां मिलेगी कि उस जगह पर किस तरीके से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
5. जियोलॉजिकल सर्वे में उपयोग:
जियोलॉजिकल सर्वे के जरिए किस जगह की मिट्टी कैसी है, उस जगह में पानी उपलब्ध है कि नहीं, उस जगह में मिट्टी के किस तरीके के तत्व हैं इस तरीके से करना आसान हो जाएगा और जो भी जानकारी मिलेगी वह काफी गहरी जानकारियां होगी।
इसकी मदद से खेती बाड़ी में मदद मिलेगी यह पता चलेगा कि किस जगह पर पानी मौजूद है तो उस जगह पर पानी की निकासी और उसका उपयोग के बारे में काम किया जा सकता है।
मिट्टी के बारे में पता चलने पर उस मिट्टी पर किस तरीके की खेती बारी किया जा सकता है यह जानकारी प्राप्त होगी। इससे ना केवल पैदावार बढ़ेगा बल्कि खेती किसानी भी आसामी वाले हैं। अगर किसान सिर्फ खेती में ध्यान दें और जियोलॉजिकल एक्सपर्ट सर्वे के जरिए उनको इस तरीके की मदद दी जाए तो यह काम और आसान और बेहतर होने वाला है।
6. चिकित्सा जगत में इसका उपयोग:
सभी चीजों के साथ-साथ चिकित्सा में तो इस तकनीक का उपयोग आवश्यक रूप से किया जाएगा जिससे शरीर के कई अंगों का आंतरिक जानकारियां आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। इन्हीं में से एक हमारी आंखें, इस तकनीक का उपयोग करके आंखों की अंदर की जानकारियां प्राप्त किया जा सकता है।
इससे ना सिर्फ जानकारियां मिल सकती है बल्कि होने वाले खामियों को भी दूर किया जा सकता है क्योंकि जब तक हमें यह पता नहीं चलता है कि आखिर आंतरिक भाग में किस तरीके की नुकसान है तब तक हम उसका इलाज नहीं कर सकते। आंखों के साथ-साथ शरीर के कई अंगों पर इसका उपयोग करके स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
यह तकनीकी रूप में आगे बढ़ रहा है बल्कि व्यवसाय और उत्पादन में भी आगे बढ़ रहा है। इसका उपयोग दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और साथ ही साथ इसका व्यापार भी बढ़ते जा रहे हैं काफी सारे नई कंपनियां भी बनी है जो कि इस पर काम कर रही है और इसे बेहतर बना रही है।
आमीन सालों तक पहुंचाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं, हो सकता है कुछ ही समय में आपके पास भी एक हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सिस्टम हो जिसके जरिए आप अपने आसपास की जगहों का हाइपरस्पेक्ट्रल इमेज ले सके और उस जगह की जानकारियां प्राप्त कर सके। तो तब तक के लिए बने रहिए और आगे के जानकारी के लिए भी।
उम्मीद करते हैं आप लोगों को हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग के बारे में समझ में आया होगा, हम कोशिश करेंगे इस बारे में और भी जानकारियां आपके साथ जल्दी शेयर करें। बने रहिए हमारे साथ और आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और साथ ही यह भी बताएं कि आप इस तरीके की जानकारियां चाहिए जो हम जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे। धन्यवाद!