What is Computer Language? How its Work? Know in Hindi
इसके पहले हमने आप लोगों को कंप्यूटर क्या है? और कंप्यूटर की विशेषताएं क्या क्या है? इन सब के बारे में बताया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं Computer की भाषा क्या है? किस भाषा को कंप्यूटर समझता है?
बेसिक कंप्यूटर कोर्स में आपको यह जानना बहुत जरूरी है की Computer की भाषा क्या है? कंप्यूटर कौन सी भाषा समझता है? और Computer की भाषा किस तरीके से काम करता है।
तो चलिए आज हम आपको बहुत ही सरल भाषा में कंप्यूटर के भाषा को समझाते हैं और उसकी कार्यप्रणाली भी समझाते हैं।
कम्प्यूटर भाषा का अर्थ हैं कि वह कोड या भाषा जिसे कम्प्यूटर आसानी से समझता हो; जैसे- डिजिटल कम्प्यूटर केवल 0 तथा 1 कोड को बाइनरी कोड (Binary Code) कहते हैं । 0 तथा 1 बाइनरी कोड के signal को दर्शाते है ।
0 का अर्थ है False तथा 1 का अर्थ है True signal तथा डिजिटल को प्रयोग करके लिखी गयी Instructions के समूह को निरूपित करता है जो एक विशेष कार्य को सम्पन्न करता है ।
जब हम किसी विशेष कार्य को कम्प्यूटर के माध्यम से करना चाहते हैं तो इसके लिये कम्प्यूटर प्रोगामींग लैंग्वेज का प्रयोग करते है ।
सर्वप्रथम जिस कम्प्यूटर प्रोगामींग लैंग्वेज का विकाश किया गया उसे मशीन लेवल लैंग्वेज या लो लेवल लैंग्वेज ( low level language) कहते हैं ।
इस प्रोगामींग लैंग्वेज में Instructions को 0 तथा 1 के रूप में लिखते है । इस प्रोगामींग लैंग्वेज में कम्प्यूटर तथा प्रोगामर के मध्य किसी भी mediator की आवश्यकता नहीं होती है ।
क्यूंकि इस प्रोगामींग लैंग्वेज में प्रोगाम मशीन कोड में लिखा जाता है जिसे कम्प्यूटर सीधे पढ़कर क्रियावितं करके आउटपुट को मशीन कोड में ही दर्शाता है । इस प्रोगामींग लैंग्वेज में प्रोगाम बनाना प्रोगमर के काफी कठिन था ।
इसके पश्चात Assembly लैंग्वेज को विकसित किया गया । Assembly लैंग्वेज में कम्प्यूटर और प्रोगामर के मध्यTranslater के रूप में Assembler का प्रयोग किया जाता है ।
Assembler, प्रोगामर के द्वारा लिये गये सोर्स कोड को मशीन कोड में परिवर्तित करता है, मशीन कोड वह कोड होता है जिसे कम्प्यूटर रीड कर सकता है ।
प्रोसेसिंग के पश्चात Assembler पुनः इसे यूजर कोड में Convert करके स्किन पर प्रदर्शित करता है ।
इसके पश्चात High Level Language को विकसित किया गया । High Level Language के अंतर्गत कम्पालाईलर तथा इंटरप्रेटर आते है ।
इंटरप्रेटर (interpreter) सोर्स प्रोगाम को Line To Line इंटेरप्रेट करता है जबकि कम्पालाईलर पूरे सोर्स प्रोगाम को एक साथ कम्पाईल करता है । कम्पालाईलर, सोर्स प्रोगाम को मशीन कोड में Convert करता है ।
प्रोसेसिंग के पश्चात कम्पालाईलर पुनः रिजल्ट को यूजर कोड में प्रदर्शित करता है । आजकल ऑब्जेक्ट ऑरियेन्टेड प्रोगामींग लैंग्वेज काफी लोकप्रिय है ।
ऑब्जेक्ट ऑरियेन्टेड प्रोगामींग लैंग्वेज, ऑब्जेक्ट पर आधारित प्रोगामींग लैंग्वेज है ।