Know Computer Network in Detai in Hindil?
दो या दो से अधिक परस्पर जुड़े हुए कम्प्यूटर या अन्य डिजिटल युक्तियों और उन्हें जोडने वाली व्यवस्था को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं। नेटवर्क के उपादानों में तार, हब, स्विच, राउटर आदि उपकरणों का नाम लिया जा सकता है। स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्किंग में बेतार नेटवर्क का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
हिस्ट्री ऑफ़ कंप्यूटर नेटवर्क
जिस नेटवर्क का हम प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं, इसकी शुरुआत कई वर्षों पहले 1960 से 1970 में हो गयी थी। उस नेटवर्क का नाम हैं ARPANET था. जिसे हम एडवांस रीसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क के नाम से जानते हैं.
1960 के दशक के दौरान पॉल बैरन एवं डोनाल्ड डेविस नें दो कम्प्युटरों के बीच जानकारी साझा करने के
उद्देश्य से पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) की ओर कार्य प्रारंभ किया. तथा 1965 में इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन स्विच लॉच किया गया।
जिसका उपयोग कम्प्युटर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता था।1969 में ARPANET (Advance Research Project Agency Network) के पहले चार नोड्स मुख्य विश्वविद्यालयों के बीच 50kbit/s सर्किट के उपयोग से जुडे चुक थे. इस तरह अर्पानेट के बढते शोध तथा विकास ने सबसे मजबूत नेटवर्क अर्थात इंटरनेट का निर्माण किया. 1976 में ARCNET (टोकन-पार्सिंग) नेटवर्क बनाया गया. जिसे उपकरणों को शेयर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
ईथरनेट के विषय में 1973 में शोध किया गया तथा जुलाई 1976 में रोबोट मेटाकाफ तथा डेविड बोग्स ने अपने पेपर ईथरनेट (Distributed Packet Switching for Local
Computer Network) को प्रकाशित कर इस नेटवर्क के सिद्धांत के बारे में बताया. इंटरनेट के बढते विकास के कारण सन 1995 में ईथरनेट की ट्रांसमिशन गति 10Mbit/s से बढकर 100Mbit/s हो गई थी. तथा 1098 में यह बढकर एक गीगाबाईट हो चुकी थी. वर्तमान समय में ईथरनेट को LAN के नाम से भी जाना जाता हैं।
कम्यूटर नेटवर्क किसने बनाया हैं?
सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए एनालॉग तथा डिजिटल विधियों का प्रयोग होता है। नेटवर्क के उपादानों में तार, हब, स्विच, राउटर आदि उपकरणों का नाम लिया जा सकता है। स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्किंग में बेतार नेटवर्क का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग इलेक्ट्रानिक संचार में किया जाता है।
इलेकट्रानिक की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना प्रेषित करने की क्रिया को दूरसंचार कहते है और एक या एक से अधिक कम्प्यूटर और विविध प्रकार के टर्मिनलों के बीच आंकड़ों को भेजना या प्राप्त करना डाटा संचार कहलाता है।
1969 टिम बर्नर्स ली ने
इंटरनेट बनाया था। इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा यू सी एल ए के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवर्किंग करके इंटरनेट की संरचना की गई। 1979 ब्रिटिश डाकघर पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ किया।
पहला कंप्यूटर नेटवर्क कौन सा था?
पहला कंप्यूटर नेटवर्क कौन सा था? ARPANET पहला पैकेट स्विचिंग का उपयोग करने वाले पहले कंप्यूटर नेटवर्क था, जिसे 1960 के दशक के मध्य में विकसित किया गया था| इसे ही आधुनिक इंटरनेट का प्रत्यक्ष पूर्ववर्ती माना जाता है| पहला ARPANET संदेश 29 Oct, 1969 को भेजा गया था।
कंप्यूटर नेटवर्क का परिचय
Computer Network को data Network भी कहा जाता है| यह बहुत सारे computer devices और other computing hardware devices का group होता है जो की एक दुसरे से किसी भी Communication channel (जैसे की Wired-Fiber Optic cable, Wireless-WiFi) के माध्यम से Linked होकर या Connect होकर Communication या Resource Sharing (जैसे की Hard disk sharing, CPU sharing) करने का काम करते हैं, उसे Computer Network या Data Network कहा जाता है.
दुसरे और आसान शब्दों में कहें तो, जब दो या दो से अधिक Computing devices एक दुसरे से Data sharing या Resource sharing करने के purpose से connect होते हैं उसे Computer Network कहा जाता है.Computer Network को Hardware और Software के Combination से बनाया जाता है.वैसे Network computer devices जो की data को send करने के लिए उत्पन्न करते हैं मतलब की Create करते हैं, Root करते हैं मतलब की रास्ता दिखाते हैं और Receive करते हैं मलतब की उत्पन्न डाटा को नेटवर्क से समाप्त करने का काम करते हैं उसे Network Nodes कहा जाता है।
ये nodes किसी भी प्रकार के device हो सकते हैं जैसे की Personal Computer (PC), Mobile Phone / Smart phone, servers और अन्य Networking hardware devices.जब दो device एक दुसरे के साथ connect होते हैं और कोई एक device data share करने के लिए able होता है तब उस समय हम उस device को भी networked device बोल सकते हैं.जैसे की जब आप एक mobile को Bluetooth के द्वारा दुसरे
mobile से connect करते हैं तब उनमें से कोई भी एक mobile दोनों के बीच data share करने में सक्षम होता है तब उस mobile को Networked device कहा जाता है।
आपने शायद Computer नेटवर्क का बहुत सारा example देखा होगा लेकिन शायद ही आपको याद होगा, यदि आपको याद नहीं आ रहा है तो चलिए मैं आपको एक example देकर बताता हूँ| आपने बड़े बड़े Institute में, या फिर
Internet cafe में देखा होगा की एक ही
Printer रहता है और वह सारे computers से connected होता है मतलब की सभी computer के द्वारा हम उस printer को print करने का task दे सकते हैं, तब उसी को computer नेटवर्क कहा जाता है।
कंप्यूटर नेटवर्क क्या है ?
जब एक से अधिक कंप्यूटर को किसी माध्यम के द्वारा आपस में जोड़ा जाता हैं और जानकारी को शेयर किया जाता हैं तब इस तकनीक को नेटवर्क कहा जाता हैं यह कनेक्शन तार सहित और तार रहित भी हो सकता है, Wire Medium की बात करे तो वो twisted pair cable, Coaxial cable और Fiber Optics Cable में से कुछ भी हो सकता है।
अगर Wireless Medium की बात करें तो वो Radio Wave, Bluetooth, Infrared, Satellite में से कुछ भी हो सकता है.कंप्यूटिंग में एक नेटवर्क दो या दो से अधिक डिवाइसों का समूह है जिसके द्वारा हम कम्युनिकेशन कर सकते हैं। व्यावहारिक रूप से, नेटवर्क में भौतिक और वायरलेस कनेक्शन से जुड़े कई अलग-अलग कंप्यूटर सिस्टम शामिल होते हैं।
नेटवर्क कंप्यूटर, सर्वर, मेनफ्रेम, नेटवर्क डिवाइस या एक दूसरे से जुड़े हुए अन्य उपकरणों का एक संग्रह है जो आपस में डाटा शेयर करने की अनुमति प्रदान करता है। नेटवर्क का एक उत्कृष्ट उदाहरण इंटरनेट है, जो पूरे विश्व में लाखों लोगों को जोड़ता है।
नेटवर्क उपकरणों के उदाहरण:-
- डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, मेनफ्रेम और सर्वर।
- कंसोल और थिन क्लाइंट (Thin Client)।
- फायरवॉल।
- ब्रिजस (Bridges)।
- रिपीटर (Repeaters)
- नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड।
- स्विचेस, केंद्र, मॉडेम और रूटर।
- स्मार्टफोन और टैबलेट।
- वेबकैम।
कंप्यूटर नेटवर्क के प्रकार
Local Area Network (LAN):- इसका पूरा नाम Local Area Network है यह एक ऐसा नेटवर्क है जिसका प्रयोग दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता है.लोकल एरिया नेटवर्क स्थानीय स्तर पर काम करने वाला नेटवर्क है इसे संक्षेप में लेन कहा जाता हैं.यह एक ऐसा कंप्यूटर नेटवर्क है जो स्थानीय इलाकों जैसे- घर, कार्यालय, या भवन समूहों को कवर करता है।
लोकल एरिया नेटवर्क की विशेषताये:-
- यह एक कमरे या एक बिल्डिंग तक सीमित रहता है।
- इसकी डाटा हस्तांतरित (Data Transfer) Speed अधिक होती है।
- इसमें बाहरी नेटवर्क को किराये पर नहीं लेना पड़ता है।
- इसमें डाटा सुरक्षित रहता है।
- इसमें डाटा को व्यवस्थित करना आसान होता है।
Metropolitan Area Network (MAN):- इसका पूरा नाम Metropolitan Area Network हैं यह एक ऐसा उच्च गति वाला नेटवर्क है जो आवाज, डाटा और इमेज को 200 मेगाबाइट प्रति सेकंड या इससे अधिक गति से डाटा को 75 कि.मी. की दूरी तक ले जा सकता है.यह लेन (LAN) से बड़ा तथा वेन (WAN) से छोटा नेटवर्क होता है.इस नेटवर्क के द्वारा एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ा जाता है.इसके अंतर्गत दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क एक साथ जुड़े होते हैं. यह एक शहर के सीमाओ के भीतर का स्थित कंप्यूटर नेटवर्क होता हैं. राउटर, स्विच और हब्स मिलकर एक मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का निर्माण करता हैं।
मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क की विशेषताये:-
- इसका रखरखाव कठिन होता है।
- इसकी गति उच्च होती है।
- यह 75 कि.मी. की दूरी तक फैला रहता है।
Wide Area Network (WAN):- इसका पूरा नाम Wide Area Network होता है.यह क्षेत्रफल की द्रष्टि से बड़ा नेटवर्क होता है.यह नेटवर्क न केवल एक बिल्डिंग, न केवल एक शहर तक सीमित रहता है बल्कि यह पूरे विश्व को जोड़ने का कार्य करता है अर्थात् यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है इसमें डाटा को सुरक्षित भेजा और प्राप्त किया जाता है।
वाइड एरिया नेटवर्क की विशेषताये:-
- यह तार रहित नेटवर्क होता है।
- इसमें डाटा को संकेतो (Signals) या उपग्रह (Sate light) के द्वारा भेजा और प्राप्त किया जा सकता है।
- यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है।
- इसके द्वारा हम पूरी दुनिया में डाटा ट्रान्सफर कर सकते है।
Wireless local Area Network (WLAN ):- Wireless LAN दो या दो से अधिक
Computers या Networking devices की एक छोटे एरिया में जैसे कि घर, ऑफिस में बिना wire के कनेक्ट करने की फैसिलिटी प्रोवाइड करता है। जैसा कि हम किसी WiFi से Networking devices को कनेक्ट करते हैं तो वह एक Wireless LAN होता हैं। Wireless का मतलब होता है बिना तार के यानी बिना wire के नेटवर्क होता हैं।
वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क की विशेषताएं:-
- इसे हम वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क बोलते हैं।
- यह नेटवर्क बिना किसी कनैक्शन के संवाद करने में काम आता है।
- यह नेटवर्क रेडियो और इंफ्रारेड की मदद से भी संवाद करने के लिए काम में आता है।
- यह एक तरह का लोकल एरिया नेटवर्क है।
Personal Area Network (PAN):- यह एक कंप्यूटर नेटवर्क होता हैं जो कि पर्सनल यानी कि आपने निजी कार्य के लिए वर्क स्पेस को कनेक्ट करने का काम करता हैं। PAN बहुत सारे Networking Devices के बीच डेटा ट्रांसमिशन करने का काम करता हैं जैसे कि Computers, Mobiles, Tablets इत्यादि है। ब्लूएटूथ अपना निजी एरिया नेटवर्क का एग्जाम्पल हैं लेकिन यह एक Wireless PAN होता हैं।जो कि Radio wave का इस्तेमाल कर के डाटा ट्रांसफर करने का काम करता हैं।
पर्सनल एरिया नेटवर्क की विशेषताएं:-
- यह एक छोटा Network होता है। जो घर में या किसी Building के कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है।
- यह एक कंप्यूटर Network है जो Computer, Tablet, Telephone, Printer जैसे Device के बीच Data Transmission के लिए उपयोग किया जाता है।
- यह 10 मीटर तक सीमित होता है।
कंप्यूटर नेटवर्क के डिवाइस
नेटवर्क डिवाइस की मदद से ही नेटवर्क में कनेक्ट रहते है बिना डिवाइस के नेटवर्क में कनेक्ट होना असंभव है.
जैसे अगर हम एक नेटवर्क से कनेक्ट है तो हम किसी डिवाइस के जरिये ही नेटवर्क से कनेक्ट है नेटवर्क में कई
डिवाइस आपस में कनेक्टेड रहते है , और डाटा भी आना जाना लगा रहता है दो नेटवर्क को आपस में कनेक्ट करने के लिए हमे कुछ नेटवर्क डिवाइस की जरुरत पड़ती है जैसे:- HUB, SWITCH, REPEATER ,
ROUTER ,
MODEM, BRIDGE, GATEWAYS,ETC।
Hub:- हब वह उपकरण है जहा डाटा एक या से अधिक कंप्यूटर से आता है और एक या अधिक कंप्यूटर को आगे भेजा जाता है. हब में आम तौर पर ट्विस्टेड पेअर तार बिछाने के लिए 4 से 24 आरजे -45 पोर्ट और हब को अन्य हबो से जोड़ने के लिए एक या एक से अधिक उपलिंक पोर्ट होते है ये एक बेसिक नेटवर्किंग डिवाइस है। ये डिवाइस फिजिकल लेयर में काम करती है यह डिवाइस बिना किसी बदलाव के ये एक पैकेट को दूसरे डिवाइस तक फोरवोर्ड करने का काम करती है ” डाटा पैकेट ” डिवाइस के लिए है की नहीं इसकी बिना परवाह किये ये सभी डिवाइस में डाटा को ट्रांसफर कर देता है।
Switch:- स्विच भी एक नेटवर्क डिवाइस है जो फिजिकल लेयर पर काम करती है ये डिवाइस हब से ज्यादा समझदार होती है हब डाटा को सभी कंप्यूटर के पास भेजता है लेकिन स्विच डाटा भेजने के साथ साथ फ़िल्टर भी करता है जब भी डाटा पैकेट स्विच के पास आता है तब स्विच डाटा पैकेट को प्राप्त करके उसको फ़िल्टर करता है तथा एड्रेस का भी पता लगता है की डाटा कहा जायेगा। इसलिए इसे इंटेलीजेंट कहा जाता है। स्विच CAM (CONTENT ADDRESSABLE MEMORY) TABLE को बनाये रखती है जिसमे सभी डिवाइस का एड्रेस रहता है।
Repeater:- रिपीटर एक इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस है जो नेटवर्क में इस्तेमाल की जाती है ,इसका काम नेटवर्क की सिग्नल स्ट्रेंथ को बढ़ाना है मान लीजिये जैसे हम ईथरनेट केबल की मदद से कंप्यूटर को आपस में जोड़ रहे है जो 100 मीटर से अधिक की दुरी पर है तो ऐसे हमारा सिग्नल कमजोर हो जाता है इसी समस्या को दूर करने के लिए हम रिपीटर का उपयोग करते है रिपीटर सिग्नल को प्राप्त करता है और सिग्नल को रिजनरेट करता है रिपीटर सिग्नल को कमजोर होने से बचता है इसकी वजह से डाटा बिना खोये दूर तक पहुंच जाता है।
Bridge:- ब्रिज एक ऐसा उपकरण है जो दो LAN के बीच में डाटा ट्रांसफर करता है ब्रिज बड़े बड़े नेटवर्को को छोटे खंडो में बिभाजित करता है और ये डाटा को फ़िल्टर करता है जब डाटा पैकेट ब्रिज में प्रवेश करता है वह डाटा पैकेट में मौजूद एड्रेस को पढता है और उस एड्रेस को दोनों नेटवर्क के TABLE एड्रेस से मिलता है जब ब्रिज को एड्रेस मिल जाता है , तो वह उस खंड को डाटा पैकेट भेज देता है।
Modem:- मॉडेम MODULATOR और DEMODULATOR से बना है जिसका उपयोग आजकल लगभग सभी लोग अपने कंप्यूटर या लैपटॉप में करते है आपके कंप्यूटर में जो भी डाटा है वो डिजिटल FORM में होता है और आपको इस डाटा को एक केबल के जरिये किसी दूसरे कंप्यूटर में भेजना है इसलिए पहले हमको इस डाटा को एनॉलॉग में बदलना पड़ेगा। और ये काम MODULATOR करता है, जब ये डाटा केबल के जरिये दूसरे कंप्यूटर में जाता है तो फिर इसे एनालॉग से डिजिटल में बदलना पड़ता है और ये काम DEMODULATOR करता है इसका उपयोग हम टेलीफ़ोन लाइन में भी करते है।
Router:- ROUTER एक हार्डवेयर नेटवर्किंग डिवाइस है इसका इस्तेमाल नेटवर्क में किया जाता है राऊटर सॉफ्टवेयर युक्त होता है ये हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से मिलकर बनते है जब भी कोई डाटा पैकेट एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में आता जाता है तब राऊटर डाटा को प्राप्त करता है और डाटा को फ़िल्टर करता है तथा जो भी उसमे छुपी हुई जानकारी होती है वह उसे एनालाइज करने के बाद उसे वहा भेज देता है जहा उसे जाना होता है। यह नेटवर्किंग डिवाइस अलग अलग नेटवर्क को आपस में वायर और वायरलेस तरीके से जोड़ने का काम करता है कंप्यूटर नेटवर्क OSI MODEL पर काम करता है।
इस डिवाइस में इंटरनेट पर काम करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम , CPU , मेमोरी स्टोरेज और इनपुट आउटपुट पोर्ट होते है स्टोरेज मेमोरी में रूटिंग टेबल और रूटिंग अलगोलिथ्म को स्टोर किया जाता है रूटिंग टेबल और रूटिंग अल्गोरिथम के जरिये यह पता लगाया जाता है की जो इनपुट डाटा पैकेट प्राप्त हुआ है उस डाटा पैकेट को किस नेटवर्क में और किस डिवाइस के पास भेजना है रूटिंग टेबल में सभी डिवाइस के एड्रेस स्टोर रहते है जब भी कोई नया राऊटर इस नेटवर्क से कनेक्ट होता है राऊटर अपने रूटिंग टेबल को अपडेट करता है राऊटर डाटा को सबसे नजदीक रस्ते के जरिये डाटा को डेस्टिनेशन एड्रेस को भेजता है।
Gateway:- गेटवे भी एक नेवर्किंग डिवाइस है जिसका काम पूरी तरह से अलग अलग नेटवर्क को आपस में जोड़ना है गेटवे एक ऐसा डिवाइस है जो OSI मॉडल के सभी सात लेयर के लिए प्रोटोकॉल का ट्रांसफर करता है गेटवे का इस्तेमाल हम LAN , मेनफ्रेम कंप्यूटर को जोड़ना , प्रोटोकॉल को बदलना और दो पूरी तरह से अलग अलग सिस्टमो के बीच डाटा आदान प्रदान है गेटवे एक फॉर्मेट में ईमेल को प्राप्त करता है और उन्हें दूसरे फॉर्मेट में बदल सकता है।
नेटवर्क टोपोलॉजी
नेटवर्क टोपोलॉजी विभिन्न नोड्स या टर्मिनल को आपस में जोड़ने का तरीका है । यह विभिन्न नोड्स के बीच भौतिक संरचना को दर्शाता है । नेटवर्क संरचना का अर्थ है कि नेटवर्क तारों की तर्कपूर्ण व्यवस्था । अन्य शब्दों में, कम्प्यूटरों का आपस में जुड़ने का ढंग ही नेटवर्क टोपोलॉजी कहलाता है । नेटवर्क टोपोलॉजी, ज्यामितीय ग्राफ के संदर्भ में आपस में जुड़े उपकरणों के संबंध का वर्णन करता है।
नेटवर्क में जुड़े हर डिवाइस को कोने के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, और उनके मध्य कनेक्शन रेखाओं के द्वारा दर्शाए जाते हैं। यह वर्णन करता है कि प्रत्येक डिवाइस के कितने कनेक्शन हैं, किस क्रम में, और किस प्रकार के पदानुक्रम में हैं।फिजिकल टोपोलॉजी (Physical Topology)-फिजिकल टोपोलॉजी से हमारा आशय यह है कि यह उपकरणों के भौतिक लेआउट का प्रतिनिधित्व करता हैं.जैसे की इस नेटवर्क टोपोलॉजी में जुड़ें उपकरणों,कनेक्टेड कंप्यूटर और केबल आदि।
यह नेटवर्क पर उपकरणों की व्यवस्था और एक दूसरे के साथ संवाद करने के तरीके को भी संदर्भित करता हैं.पांच मूल भौतिक टोपोलॉजी बस (Bus),स्टार (Star), ट्री (Tree) और मेश (Mesh), रिंग (Ring) हैं।लॉजिकल टोपोलॉजी (Logical Topology)-लॉजिकल टोपोलॉजी के सहायता से नेटवर्क में डेटा को एक डिवाइस से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता हैं, भले ही डिवाइस के बिच भौतिक रूप से कोई संबंध न हो.उदाहरण के लिए, आईबीएम (IBM) के टोकन रिंग एक लॉजिकल रिंग टोपोलॉजी हैं।
नेटवर्क टोपोलॉजी सामान्यत: निम्नलिखित प्रकार की होती है:-
- रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)
- बस टोपोलॉजी (Bus Topology)
- स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)
- मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology)
- ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)
logoनेटवर्क टोपोलॉजी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं :-
Mesh Topology:- यह नेटवर्क उच्च ट्राफीक स्थिति में मार्ग (Routes) को ध्यान में रखकर उपयोग किया जाता है । इसमें किसी भी स्त्रोत (Source) से कई मार्गों से सन्देश भेजा जा सकता है । पूर्णतः इन्टरकनेक्टेड मेस नेटवर्क खर्चीला है, क्योंकि इसमें ज्यादा केबल (
Cable) तथा नोड में इंटेलिजेंस की आवश्यकता होती है । इस नेटवर्क में उच्च सुरक्षा अनुप्रयोग में डाटा प्रेषित किया जाता है ।
Star Topology:- इस नेटवर्क में एक केन्द्रीय नोड होता है जो इंटेलिजेंस से युक्त होता है । बाकि नोड्स इससे जुड़े रहते हैं । इस केन्द्रीय नोड को हब कहते हैं । कोई एक केबल में कोई कठिनाई आने पर एक ही नोड विफल होता है परन्तु अगर हब में कोई कठिनाई आती है तो सारा नेटवर्क विफल होता है ।
Ring Topology:- इस नेटवर्क में सभी नोड्स में समान रूप से इंटेलिजेंस होता है । डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता है परन्तु किसी भी एक केबल या नोड में कठिनाई आने पर दूसरे से संचार संभव है ।
Bus Topology:- इस नेटवर्क में सभी नोड्स एक ही केवल में जुड़े रहते हैं । कोई भी नोड किसी दूसरे नोड को डेटा प्रेषित करना चाहता है तो उसे देखना होता है की बस में कोई डेटा प्रवाहित तो नहीं हो रहा है । बस खाली रहने पर नोड डेटा प्रेषित कर सकता है । इसमें कम केबल की आवश्यकता होती है तथा नया नोड जोड़ना आसान होता है । परन्तु प्रमुख ट्रांसमिशन लाइन में कठिनाई आने पर सारा नेटवर्क विफल हो जाता है ।
Tree Topology:- एक ट्री टोपोलॉजी लीनियर बस और स्टार टोपोलॉजी विशेषताओं को जोड़ती हैं. ट्री टोपोलॉजी में, स्टार नेटवर्क का एक समूह लीनियर बस बैकबोन से जुड़ा हुआ होता हैं. ट्री टोपोलॉजी उपयोगकर्ताओं के आधार पर मौजूदा नेटवर्क को विस्तारित और कॉन्फ़िगर करने में सक्षम बनाता हैं. Twisted Pair Cable आमतौर पर ट्री टोपोलॉजी द्वारा उपयोग किया जाता है, ट्री टोपोलॉजी को Hierarchical Structure भी कहा जाता हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क की विशेषताएं
- कंप्यूटर नेटवर्क का मुख्य कार्य इंसान की शारिरिक परेशानी को खत्म करना जो कि अपना मैसेज भेजने के लिए दूसरे इंसान की सहायता लेते थे।
- इसके कार्य को देखकर इंसान को इसके प्रति विश्वासहोने लगा और वो लोग अपना सारा काम कंप्यूटर नेटवर्क की सहायता लेने लगे।
- कंप्यूटर नेटवर्क का विकाश होने से इंसान का काफी सारा समय और पैसा खर्च होने से बचा और तो और यातायात के साधन मैं विकाश होने लगा।
- कंप्यूटर नेटवर्क के आने से स्कूल कॉलेज और प्राइवेट कंपनी और हॉस्पिटल ओर संस्थानों का विकास तेजी से होने लगा और लोग एक दूसरे से जुड़ने लगे और धीरे धीरे इन लोगों ने बहुत सारे लोगों को रोजगार दिया और देश के विकास मैं सहायता की।
- कंप्यूटर नेटवर्क एक मीडिएटर की तरह काम करता हैं।इसकी सहायता से सेल्स मार्केटिंग बिजनिस मैं बृद्धि होने लगी और communication सिस्टम काफी तेजी से होने लगे जैसे ऑनलाइन ट्रेडिंग और ट्रेवलिंग कम्युनिकेशन, मनी ट्रांसेक्शन आदि।
- कंप्यूटर नेटवर्क के आने सेऑनलाइन डीलिंग मैनुफैक्चरिंग और purchasing होने लगी जिससे labour का फिजिकल हार्डवर्क कम होने लगा।
- कंप्यूटर नेटवर्क से इंसान परेशान होता है तो ऑनलाइन म्यूजिक और वीडियो देखकर रिलैक्स कर सकता हैं और फिर से अपना काम कर सकता हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क की क्या आवश्यकता हैं?
आज कल Life के हर क्षेत्र में Computer का प्रयोग होता है सभी Organisation में बहुत सारे Computer day-to-day work के लिए प्रयोग किये जाते हैं Network को Different प्रकार के उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाता है।
- Sharing Files, Folders, Data and information
- Sharing Network resource such as a network printer
- Sharing software
कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग
आधुनिक युग में कंप्यूटर नेटवर्क की उपयोगिता और महत्व वर्तमान समय में विभिन्न क्षेत्र में कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग हो रहा है:-
Education:- वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर नेटवर्क का बहुत अधिक महत्व है कम्प्यूटर नेटवर्क की मदद से छात्र online
study कर सकते हैं । कई प्रकार के परीक्षाऐं भी Computer Network की सहायता से अब online होने लगे हैं जिससे समय की काफी बचत होती है और कागज बनाने के लिए पेड़ काटने की आवश्यकता भी नही होती ।
Business:- पहले व्यापारिक हिसाब-किताब में काफी मेहनत और समय लगता था लेकिन कम्प्यूटर नेटवर्क के उपयोग से अब यह कार्य बहुत ही आसान हो गया है ।
Entertainment:- कम्प्यूटर नेटवर्क मनोरंजन का भी बहुत अच्छा साधन है। कम्प्यूटर पर हम कई प्रकार के games खेल सकते हैं, movies देख सकते हैं, गाने सुन सकते हैं और समाचार भी पढ़ सकते हैं ।
Communications:- कम्प्यूटर नेटवर्क उपयोग संचार के साधनों जैसे – हवाईजहाज, ट्रेन आदि में भी किया जाता है । इसके द्वारा हम किसी व्यक्ति से भी संपर्क कर सकते हैं ।इसके अलावा भी कम्प्यूटर नेटवर्क के कई उपयोग हैं और कम्प्यूटर हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क की सीमायें
- कंप्यूटर नेटवर्क से आने से इतने फायदे भी हैं तो कुछ नुकसान भी हैं जैसे बहुत सारे डेटा केबल्स और मोडेम, फैक्स मशीन प्रिंटर आदि महँगे महँगे उपकरण प्रयोग होते है और साथ ही कंही किसी डिवाइस ने काम करना बंद कर दिया या कोई फॉल्ट हुआ तो इन सबको मैनेज करने के लिए बहुत सारा समय और पैसा खर्च होता हैं।
- कंप्यूटर नेटवर्क का देखभाल करने की भी आवश्यकता पड़ती हैं जैसे सिस्टम मेंटेनेंस और बार बार डिवाइस और सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर अपडेट करने पड़ते हैं जिसके लिए टेक्निकल लोगों की जरूरत होती जो कि इन प्रॉब्लमस को सॉल्व कर सके।
- कंप्यूटर नेटवर्क आने के साथ साथ बहुत सी सिक्योरिटी भी बढ़ गईं है जैसे साइबर क्राइम और हैकर जिससे हमारे सिस्टम से डेटा चोरी हो सकता हैं और तो और बहुत ज्यादा नुकसान भी हो सकता हैं जिसकी हम अनुमान नही लगा सकते।
कंप्यूटर नेटवर्क के फ़ायदे
फ़ाइल साझाकरण (File Sharing)-फ़ाइल साझाकरण नेटवर्क द्वारा प्रदान किया जाने वाला सबसे आम फ़ंक्शन है और इसमें सर्वर या सर्वर पर सभी डाटा फ़ाइलों को एक साथ समूहीकृत (grouping) करना शामिल है। जब किसी संगठन की सभी डाटा फ़ाइलों को एक स्थान पर संग्रहीत (group)किया जाता है, तो कर्मचारियों के लिए दस्तावेज़ और अन्य डाटा साझा(share) करना आसान होता है।
यह फाइलों को व्यवस्थित (systematic way) तरीके से व्यवस्थित (arrange) करने में भी मदद करता है। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम भी केवल अधिकृत कर्मियों अर्थात ऐसे काम करने वाले जिनको सिस्टम पर कार्य करने का अधिकार है(authorized personnel) ऐसे लोगो के लिए इन फ़ाइलों तक पहुंच को प्रतिबंधित(restrict access) करने में मदद करता है।
Print Sharing:- एक नेटवर्क वातावरण में, एक प्रिंटर को कई उपयोगकर्ताओं (multiple users) द्वारा साझा किया जा सकता है। यह उन प्रिंटर की संख्या को कम कर सकता है जिन्हें संगठन को खरीदना, बनाए रखना और आपूर्ति करना चाहिए। नेटवर्क प्रिंटर अक्सर उन प्रिंटरों की तुलना में अधिक तेज़ (faster) और अधिक सक्षम (capable) होते हैं जो stand alone computers से जुड़े होते हैं।
E-Mail:- आंतरिक (Internal) या “समूह ई-मेल(group
email)” कार्यालय में कर्मचारियों को एक दूसरे के साथ जल्दी और प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम बनाता है। ग्रुप ईमेल एप्लिकेशन (Group email applications) संपर्क प्रबंधन (contact management), शेड्यूलिंग (scheduling) और कार्य सौंपने (task assignment) के लिए क्षमताओं (capabilities ) को भी प्रदान करते हैं।
Fax Sharing:- जब एक साझा मॉडेम (shared modem) सीधे नेटवर्क सर्वर से जुड़ा होता है तो यह फैक्स को सीधे भेज / प्राप्त (send/receive) कर सकता है। इस सुविधा के साथ उपयोगकर्ता अपने कंप्यूटर से सीधे कागज पर मुद्रित करने की आवश्यकता के बिना (without any need for printing them on to paper) दस्तावेजों को फैक्स कर सकते हैं।
इनकमिंग फैक्स भी नेटवर्क द्वारा संभाला जा सकता है और ईमेल के माध्यम से सीधे उपयोगकर्ताओं(users) के कंप्यूटरों को भेजा जा सकता है। इस सुविधा के साथ हर फैक्स की हार्ड कॉपी प्रिंट करना आवश्यक नहीं है।
Remote Access:- कभी-कभी कर्मचारियों को दूरस्थ स्थानों (remote locations) से अपने ईमेल, दस्तावेजों या अन्य डाटा तक पहुंचने की आवश्यकता हो सकती है। इस सुविधा की मदद से उपयोगकर्ता टेलीफोन के माध्यम से अपने संगठन के नेटवर्क (organization’s network) में डायल(dial) कर सकते हैं और सभी नेटवर्क संसाधनों(network resources) तक पहुंच सकते हैं जैसे कि वे कार्यालय में हैं।
Shared Databases:- यह फ़ाइल साझाकरण (file sharing) का एक सबसेट (subset) है। यदि संगठन (organization) एक व्यापक डाटा बेस (extensive database) रखता है-उदाहरण के लिए, सदस्यता (membership), ग्राहक(client), अनुदान (grants) या वित्तीय लेखांकन डाटा बेस (financial accounting database )-एक नेटवर्क एक ही समय में कई उपयोगकर्ताओं (multiple users at the same time) को डाटा बेस उपलब्ध कराने का एकमात्र प्रभावी तरीका (effective way) है।
Fault Tolerance:- दोष सहिष्णुता (Fault Tolerance) की स्थापना एक प्रक्रिया है जो यह सुनिश्चित करती है, कि आकस्मिक डाटा हानि (accidental data loss) के खिलाफ रक्षा की कई लाइनें हों। आकस्मिक डाटा हानि (accidental data loss) का एक उदाहरण
हार्ड ड्राइव की विफलता या गलती से किसी फ़ाइल को हटाना (hard drive failure or someone deleting a file by mistake) हो सकता है। एक नेटवर्क में निरर्थक हार्डवेयर (redundant hardware), टेप लाइब्रेरी, यूपीएस आदि प्रबंधन (maintenance) से इसे रोका जा सकता है।
Internet Access and Security:- जब कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े (network connected) होते हैं, तो वे इंटरनेट से एक सामान्य नेटवर्क कनेक्शन साझा (share) कर सकते हैं। यह वर्ल्ड वाइड वेब पर उपलब्ध संसाधनों के लिए ईमेल, दस्तावेज़ हस्तांतरण और पहुँच (access to the resources) की सुविधा प्रदान करता है।
Communication and collaboration:- एक नेटवर्क कर्मचारियों को फाइलें साझा करने (employees to share files), अन्य लोगों के काम को देखने (view other people’s work) और विचारों को अधिक कुशलता से आदान-प्रदान (exchange) करने में मदद करता है। एक बड़े कार्यालय में कोई भी ई-मेल (e-mail) और इंस्टेंट मैसेजिंग (instant messaging ) टूल का उपयोग कर सकता है ताकि वह जल्दी से संवाद (communicate quickly) कर सके और भविष्य के संदर्भ (future reference) के लिए संदेशों को संग्रहित (store) कर सके।
Organization:- नेटवर्क शेड्यूलिंग सॉफ़्टवेयर हर किसी के शेड्यूल की लगातार जाँच किए बिना मीटिंग की व्यवस्था करने में मदद करता है। इस सॉफ़्टवेयर में आमतौर पर अन्य सहायक सुविधाएँ शामिल हैं जैसे साझा पता पुस्तिकाएं (shared address books), टू-डू सूचियाँ(to-do lists) आदि।
File sharing:- आप विभिन्न उपयोगकर्ताओं के बीच आसानी से डेटा शेयर कर सकते हैं।
Resource sharing:- नेटवर्क से जुड़े पेरीफेरल उपकरणों जैसे प्रिंटर, स्कैनर का उपयोग करना, या कई यूजर के बीच सॉफ्टवेयर शेयर करना, पैसे बचाता है।
Increase storage capacity:- आप फ़ाइलों और मल्टीमीडिया का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि चित्र और संगीत, जिसे आप अन्य मशीनों या नेटवर्क से जुड़े स्टोरेज डिवाइस पर स्टोर करते हैं।
कंप्यूटर नेटवर्क के नुकसान
कंप्यूटर नेटवर्क से आने से इतने फायदे भी हैं तो कुछ नुकसान भी हैं जैसे बहुत सारे डेटा केबल्स और
मोडेम, फैक्स मशीन प्रिंटर आदि महँगे महँगे उपकरण प्रयोग होते है और साथ ही कंही किसी डिवाइस ने काम करना बंद कर दिया या कोई फॉल्ट हुआ तो इन सबको मैनेज करने के लिए बहुत सारा समय और पैसा खर्च होता हैं।