पेरिफेरल डिवाइस क्या है? परिधीय उपकरण (पेरिफेरल डिवाइस) क्या हैं? आइये जानते है पेरिफेरल डिवाइस क्या है और कैसे काम करता है? What is Peripheral Device? Know Peripheral Device in Detail in Hindi?
पेरिफेरल क्या है?
बाह्य उपकरणों जो कंप्यूटर से जुड़े हुए हैं, लेकिन वे मुख्य कंप्यूटर वास्तुकला नहीं हैं कोर कंप्यूटर आर्किटेक्चर में मुख्य रूप से कंप्यूटर मदरबोर्ड, सीपीयू, SMPS और कंप्यूटर कैबिनेट्स या केस आते हैं ।आपको मेमोरी रैम, हार्डडिस्क और विभिन्न अन्य बाह्य उपकरणों की आवश्यकता होती है, ताकि आपके कंप्यूटर अपने संभावित कार्यों में काम कर सके।
अन्य अवधि में कंप्यूटर बाह्य उपकरणों को ऐसे डिवाइस के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो आसानी से हटाए जा सकते हैं और पीसी सिस्टम में प्लग कर सकते हैं।
आप इसे किसी भी समय निकाल सकते हैं और इसे आसानी से बदल सकते हैं की-बोर्ड लेकिन लैपटॉप में इसे निकालना मुश्किल है क्योंकि यह कैबिनेट के अंदर फिट हैं. प्रिंटर एक कंप्यूटर आउटपुट डिवाइस है आपके पीसी बिना प्रिंटर के ठीक से काम कर सकता है, लेकिन अगर आप मॉनिटर कंप्यूटर सिस्टम से निकल दे तो कंप्यूटर बेकार हो जाते हैं।
अन्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि कंप्यूटर बाह्य उपकरणों के बिना पीसी ठीक से काम सकता है कि आपका पीसी बिना प्रिंटर या वेबकैम के काम कर सकता है,लेकिन अगर आप CPU को सॉकेट से निकल दे तब कंप्यूटर बेकार हो जाता है।
पैरिफैरल्स के उदाहरण:-
INPUT DEVICE:- कैमरा, कीबोर्ड जोस्टिक, बारकोड रीडर, माइक्रोफ़ोन, माउस इत्यादि।
OUTPUT DEVICE:- मॉनिटर ,प्रिंटर, प्लॉटर, प्रोजेक्टर , स्पीकर इत्यादि।
STORGE DEVICE:- हार्ड डिस्क, CD / DVD PENDRIVE की इत्यादि।
पेरिफेरल उपकरण के प्रकार
पेरिफेरल डिवाइस या तो इनपुट उपकरण में या फिर आउटपुट उपकरण में विभाजित किए जाते हैं या फिर कुछ उपकरण दोनों तरह से काम आते हैं।
यह निम्नलिखित दो प्रकार के होते है:-
- स्थापना के आधार पर (Based on Installation)
- फ़ंक्शन के आधार पर (Based on Function)
स्थापना के आधार पर
यह निम्नलिखित दो प्रकार के होते है:-
- आंतरिक पेरीफेरल डिवाइस ( Internal Peripheral Device)
- बाहरी पेरीफेरल डिवाइस (External Peripheral Device)
फ़ंक्शन के आधार पर
यह निम्नलिखित तीन प्रकार के होते है:-
- इनपुट पेरीफेरल डिवाइस (Input Peripheral Device)
- आउटपुट पेरीफेरल डिवाइस (Output Peripheral Device)
- स्टोरेज पेरीफेरल डिवाइस (Storage Peripheral Device)
Internal peripheral device:- आंतरिक पेरिफेरल डिवाइस जो की कम्प्युटर में काम आते हैं वह हैं ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव, विडियो कार्ड और हार्ड ड्राइव। डिस्क ड्राइव एक ऐसा उपकरण है जो की इनपुट और आउटपुट दोनों उपकरणों की तरह काम करता है।
जैसे की अगर हमे कम्प्युटर में कोई जानकारी डालनी है तो भी हम इसका इस्तेमाल करते हैं और या फिर हमें किसी भी प्रकार की जानकारी या डाटा को कम्प्युटर से इसमे डालकर रखना है तो यह भी हम इसकी मदद से कर सकते हैं। नेटवर्क कार्ड, यूएसबी आदि सभी एक तरह से आंतरिक पेरिफेरल डिवाइस ही हैं।
उदाहरण:- सीडी / डीडीवी रोम,आंतरिक मॉडेम, विडियो कार्ड, ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव आदि।
External peripheral devices:- इनमे जो उपकरण आते हैं वह हैं माऊस, कीबोर्ड, पेन टेबलेट, हार्ड डिस्क, प्रिंटर, प्रॉजेक्टर, स्पीकर, वेबकैम, फ्लैश ड्राइव, मीडिया कार्ड रीडर और माइक्रोफोन। कोई भी उपकरण जिसको कम्प्युटर के बाहर से जोड़ा जाता है उसे हम बाहरी पेरिफेरल डिवाइस बोलते हैं।
उदाहरण:- कीबोर्ड, माउस , हार्ड डिस्क, प्रिंटर , प्रोजेक्टर, स्पीकर आदि।
इनपुट पेरिफेरल उपकरण
Keyboard:- यह बहुत आम और बहुत लोकप्रिय इनपुट उपकरण है जो की कम्प्युटर में डाटा को रखने के काम में आता है। कीबोर्ड का आकार पुरानी जमाने में जो टाइप रायटर आता था बिलकुल उसका जैसा ही है। पर इसमे कुछ अतरिक्त बटन होते हैं जो की अलग अलग तरह के काम में इस्तेमाल होते हैं। कीबोर्ड भी दो तरह के होते है एक 84 बटन वाला होता है और एक 101/102 बटन वाला होता है। पर आज के जमाने में नई तकनीकी वाले कीबोर्ड 104 से 108 बटन में भी आने लगे हैं।
Mouse:- यह बहुत ही लोकप्रिय दिशा निर्देश देने वाला उपकरण है। इसे हम कर्सर कंट्रोल डिवाइस भी बोलते हैं। इसमे नीचे की तरफ एक गोलाकार बॉल होती है जो इसके चलने मे सहायक होती है। यह सीपीयू को सिग्नल देने में काम आता है क्योंकि यह कर्सर की मदद से स्क्रीन पर चीजों को दर्शाता है। सामान्य तौर पर इसमे दो बटन होते हैं एक बायीं ओर एवं एक दायीं ओर। यह केवल स्क्रीन पर कर्सर चलाने में काम आता है हम इससे टाइप नहीं कर सकते।
Joystick:- यह भी एक तरह का उपकरण है जो की स्क्रीन पर कर्सर को चलाने में काम आता है। इसमे एक स्टिक होती है जिसमे एक गोलाकार बॉल लगी हुई होती है नीचे और ऊपर दोनों तरफ। नीचे की बॉल सॉकेट में ही घूमती रहती है। यह एक तरह से माऊस की तरह ही होती है। इसका इस्तेमाल हम CAD डिज़ाइन बनाने में भी करते हैं। जॉयस्टिक सारे के सारे चारों दिशाओं में घूम सकती है। हम इसका इस्तेमाल ज़्यादातर विडियो गेम खेलने में करते है।
Light pen:- यह पेन की तरह ही होता है जो की संकेत देने में काम आता है। यह मॉनिटर पर चित्र या फिर कुछ लिखने के काम में आता है। इस छोटी सी ट्यूब में फोटो सेल और ऑप्टिकल सिस्टम होता है। जब भी इस पेन को मॉनिटर की स्क्रीन पर चलाया जाता है और इस पेन के बटन को दबाया जाता है तो यह एक सिग्नल सीपीयू को भेजता है जिससे की यह स्क्रीन पर जो भी हमने लिखा या बनाया है उसे दिखा सके।
Scanner:- यह एक तरह से फोटो कॉपी मशीन की तरह काम करता है। यह जब काम में आती है जब कोई जानकारी पन्नों पर होती है और उसको हमे कम्प्युटर के अंदर रखना होता है तो उसके लिए हम इसका इस्तेमाल करते हैं। यह सोर्स से इमेज को लेता है उसके बाद उसको डिजिटल रूप में रखता है। इस तरह की इमेज को हम प्रिंट से पहले एडिट भी कर सकते हैं ।
Bar code reader:- इस तरह के रीडर बार कोड़ को पढ़ने के काम में आते है। यह ज़्यादातर किताबों, उपकरणो आदि के डब्बों पर पाये जाते हैं। मॉल, दुकानों पर हम जब समान खरीदने जाते हैं तब हमें बिल देने के लिए दुकानदार इसको स्कैन करके ही बिल देता है।
Optical mark reader:- यह किसी भी तरह के मार्क जो की पेंसिल या पेन से किया हुआ है उसको पढ़ने के काम में आती है। इसी की मदद से कॉम्पटिशन के पेपर जाँचे जाते हैं। यह उनही शीट में काम आती हैं जिनमे ओएमआर छपी हुई होती है।
आउटपुट पेरिफेरल उपकरण
Monitor:- इसे हम विज्वल डिस्प्ले यूनिट (VDU) भी बोलते हैं। यह छोटे छोटे बिन्दुओं की मदद से इमेज को बनाता है जिसे हम पीक्सल्स बोलते हैं जो की आयताकार आकार में होते हैं। इमेज की अच्छी क्वालिटी पिक्सल पर निर्भर करती है।
Printer:- यह छपाई के लिए काफी उपयोगी उपकरण है। इसमे भी काफी तरह के प्रिंटर आते है जैसे की इंक जेट प्रिंटर यह इंक का इस्तेमाल करता है छपाई के लिए और यह इंक को छिड़क छिड़क कर पन्नों प छपाई करता है।
Plotter:- यह उपकरण कम्प्युटर की मदद से पन्नों पर चित्र बनाने का काम करता है। यह प्रिंटर से काफी अलग होते हैं क्योंकि यह पेन की मदद से चित्रों और रेखाओं को बनाते हैं।
Projector:- यह एक तरह का उपकरण है जो की कम्प्युटर से इमेज को लेता है उसके बाद उसे बड़ी स्क्रीन पर दिखाता है जिससे की बहुत सारे लोग उसे एक साथ देख पाएँ।
Speaker:- यह एक तरह का ध्वनि उपकरण होता है जो की गाने, रिकॉर्डिंग आदि में काम आता है। यह लैपटाप, एमपी3प्लेयर आदि में भी इस्तेमाल होते हैं। आजकल तो स्पीकर ब्लुटूथ और यूएसबी की मदद से भी चलाने के काम में आते हैं।
स्टोरेज पेरीफेरल डिवाइस
वह पेरीफेरल डिवाइस जो कंप्यूटर द्वारा दिए गए डेटा को संग्रहीत करने के लिए उपयोग किया जाता है। उन्हें स्टोरेज पेरीफेरल डिवाइस कहा जाता है।
हार्ड ड्राइव
इसका उपयोग डेटा को लंबे समय तक संग्रहीत करने के लिए किया जाता है. इसके अंदर हम कंप्यूटर के Operating System and applications के साथ-साथ Personal files को भी store कर सकते हैं जिनमें फ़ोटोग्राफ़ी, दस्तावेज़, संगीत शामिल हैं। प्रत्येक कंप्यूटर में हार्ड ड्राइव होती है।
दो प्रकार की हार्ड ड्राइव:-
- हार्ड डिस्क ड्राइ (HDD-Hard Disc Drive)
- सॉलिड स्टेट ड्राइव (SDD-Solid State Drive)
HDD/Hard Disc Drive:- HDD (हार्ड डिस्क ड्राइव) को OBM ने 1956 में तैयार किया था और यह एक पुरानी तकनीक है। यह एक READ/ WRITE Electromechanical Device है, जो अपने parts को move करके काम करता है और डेटा को Magnetic Rotating Plates पर स्टोर करता है। फिर भी, यह बेहतर डेटा स्टोरेज तकनीक है।
Flash Drive:- एक फ्लैश ड्राइव एक छोटा, अल्ट्रा-पोर्टेबल स्टोरेज डिवाइस है, जो Optical Drive या Traditional Hard Drive के विपरीत होता है।
USB Type-A plug:- फ्लैश ड्राइव एक यूएसबी टाइप-ए प्लग के माध्यम से कंप्यूटर और अन्य उपकरणों से कनेक्ट होता है, फ्लैश ड्राइव (Flash Drive) को हम यूएस-बी (USB) डिवाइस और केंबल (Cable) के द्वारा कंप्यूटर से connect कर सकते है।
पैरिफैरल के फ़ायदे
Joystick:- गेम खेलने के लिए उपयोग करने के लिए सीखना आसान है।
Remote Control:- प्रत्येक फ़ंक्शन का अपना बटन हो सकता है जो उन्हें उपयोग करने के लिए बहुत सरल बनाता है।
Digital Camera:- किसी भी फिल्म की आवश्यकता नहीं है और Unwanted Images को सीधे हटा दिया जा सकता है।
Headphone:- उपयोग में आसान और रखना भी आसान।
Storage Device:- डेटा तक पहुंचने के लिए बहुत तेज और खरीदने के लिए सस्ता।
पेरिफेरल के हानियाँ
- सरल जॉयस्टिक (Joystick) में दिशाएं सीमित हैं.
- Remote control का उपयोग उस उपकरण के अलावा किसी अन्य चीज़ को नियंत्रित करने के लिए नहीं किया जा सकता है, जिसके लिए वे Design किए गए थे।
- Digital camera में खींची गयी photos का size अधिक होता है इसलिए Images को अक्सर Compressed करना पड़ता है।
- Storage devices अगर fail (विफल) हो जाता है, तो सहेजा गया Data डिलीट हो जाता है।
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